सम्राटों के वंशज दलित

Depressed Class: The Descendant of Emperors

पुस्तक से लिए गए कुछ महत्वपूर्ण शब्द बिन्दु 

  • मूल दलित वैदिक काल के असुर सम्राटों के वंशज हैं जिन्होंने आर्यों (सुरों) को बार-बार पराजित किया था और उन्हें अपनी अप्सराएं असुरों को ब्याहने के लिए बाध्य किया था।
  • इनमें बौद्धजैन, चार्वाक के साथ ही ब्राह्मण, ठाकुर, बनिया, कुर्मी, काछी, लोध, अहीर, गड़ेरी, बढ़ई, लोहार, इत्यादि देशी-विदेशी जातियों के सम्राटों के वंशज भी सम्मिलित हैं। दलित विभिन्न जातियों, सम्प्रदायों के विजेताओं द्वारा बदले की भावना से विजित जातियों को कुचल कर बनाये गये लोग हैं।
  • कलियुग में ब्राह्मणों के अलावा सभी हिन्दू शूद्र/दलित हैं।
  • पैरों से शूद्रों की उत्पत्ति का अर्थ है, शक्तिशाली पुरुषों/समूहों द्वारा पैरों से कुचल कर बनाये गये लोग।
  • हिन्दू संस्कृति शूद्रों की देन है। भारत दलितों/पिछड़ों के बल पर ही जिन्दा रहा।
  • वर्ण व्यवस्था के ब्राह्मणों ने देश को अज्ञानियों, अशिक्षितों, अन्धविश्वासियों का देश बनाया, जबकि क्षत्रियों ने देश को गुलाम बनाने का कार्य किया।
  • भारत में जातियाँ विकास की लघु मार्ग हैं। यहाँ एक व्यक्ति के सत्तासीन होते ही उसकी पूरी की पूरी जाति ऊपर उठ जाती है।
  • भारत का भाग्योदय दलित-पिछड़े एकीकरण में निहित है। विकास का रास्ता सत्ता के गलियारे से  होकर जाता है।

(पुस्तक के पन्नों से)
पुस्तक तथ्यों एवं वैदिक तथा वैदिकोत्तर प्रमाणों के आधार पर सिद्ध करती है कि आज के दलित (वर्णारक्षण  व्यवस्था के शूद्र) प्राचीन काल के
राजाओं/महाराजाओं
/ सम्राटों के वंशज हैं जिन्हें उनके विरोधियों तथा विजेताओं ने बदले की भावना से कुचल कर उनके सारे मानवीय अधिकारों को छीनकर शूद्र अथवा दलित बना दिया। पुस्तक यह भी खुलासा करती है कि उन्हें दलित/शूद्र बनाने वाले अधिकतर आर्य (भूसुर) तथा आर्य क्षत्रिय (शासक) भी थे जिनका बड़े पैमाने पर संहार दलितों के वंशज वैदिक असुरों (शासक) ने किया था।
पुस्तक यह भी प्रमाणित करती है कि बौद्धजैन, चार्वाक तथा वर्ण व्यवस्था के क्षत्रिय शासकों के अनुयायी भी बड़ी संख्या में दलित या शूद्र घोषित कर दिये गये। कलियुग में तो ब्राह्मणों को छोड़कर क्षत्रिय वैश्य इत्यादि सभी हिन्दू शूद्र / दलित घोषित कर दिये गये। पुस्तक में इससे जुड़े कई प्रमाण दिये गये हैं। इस आधार पर पुस्तक से यही निष्कर्ष निकलता है कि प्रथम वर्ण को छोड़कर शेष सभी वर्ण एवं जातियों के लोग ही असली हिन्दू हैं। इसलिए भारत के सच को जानने के लिए सभी को इस पुस्तक को पढ़ना चाहिए।

पुस्तक अंततः घोषणा करती है कि हिन्दू संस्कृति शूद्रों अथवा दलितों की ही देन है क्योंकि हिन्दू संस्कृति के निर्माण में इनके तथा इनके पूर्वजों के योगदानों को निकाल देने के बाद हिन्दू संस्कृति के पास कुछ भी नही बचेगा। दलितों के अन्तर्गत एस. सी., एस.टी. तथा ओ.बी.सी. की जातियों को रखा गया है जिनकी संगठित शक्ति में भारत के भाग्योदय को देखा गया है।

 

लेखक की कलम से...

यह किताब मूल दलित अर्थात उत्तर वैदिक काल में विभिन्न जातियों के सम्राटों को कुचल कर बनाये हुए दलितों के सम्बन्ध में है। This book is about the original Dalits i.e. Dalits created by crushing emperors of different castes in the later Vedic period.

2 thoughts on “सम्राटों के वंशज दलित | Depressed class: The Descendant of emperors”

  1. नमस्कार सर

    मैं कच्छ गुजरात से हूँ। सर आपकी किताब ‘सम्राटों के वंशज दलित’ मुझे खरीदनी है तो ये किताब मुझे कहा से मिलेगी ? कृपया जरुर बताये

    1. नमस्कार दीपक जी,

      बहुत बहुत धन्यवाद् आपको ये किताब अच्छी लगी।
      यह पुस्तक वैसे तो amazon.in पर उपलब्ध रहती है परन्तु अभी वहां out of stock चल रही है। तो आप मुझे इसी मेल पर अपना address बता सकते हैं, मैं आपको भेज देता हूँ यह book। 8340628794 मेरे सुपुत्र का whatsapp number है। आप direct whatsapp पे बता सकते हैं ।

      डॉ श्याम निर्मोही

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