Dr. Nirmohi's Books

My Books

—————————————————————————

आदि माता मनु
(एक नयी खोज)

वैश्वीकरण की प्रथम नायिका: मानव जाति कि जननी माता मनु और प्राचीन त्रिलोक का भूगोल

Written By
डॉ. निर्मोही

लक्ष्मी गणेश का आर्थिक समाजशास्त्र

गणेश और लक्ष्मी विश्व के सबसे बड़े चूहामार हैं। इसी कारण लक्ष्मी धान (धन) की देवी कही गयीं ।

Written By
डॉ. निर्मोही

उत्सवों का समाजशास्त्र

महाशिवरात्रि उत्सव “विश्व का पहला प्रेम दिवस”, होलिकोत्सव विश्व के समस्त मानवों का “पहला नव वर्षोत्सव”, दीवाली विश्व का दूसरा पर्व है और धान/धन के जन्मोत्सव का पर्व है।

Written By
डॉ. निर्मोही

भारत की जातियां उद्भव एवं विकास-1

भारत की जातियां जनजातियों से रूपांतरित होकर अस्तित्व में आयी हैं ।

Written By
डॉ. निर्मोही

सम्राटों के वंशज दलित

दलित/शूद्र विभिन्न जातियों, वर्णों के सम्राटों को कुचलकर बनाये गये लोग हैं । बदले की भावना से ही विजितों को दलित बनाया गया ।

Written By
डॉ. निर्मोही

भगवान की अवधारणा

यह पुस्तक ईश्वर, खुदा, गॉड जैसी काल्पनिकता के पीछे भाग रहे मानवों को सच का आईना दिखाती है ।

Written By
डॉ. निर्मोही
भगवान की अवधारणा पुस्तक प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक के पांच प्रकार के भगवानों की वैज्ञानिक व्याख्या प्रस्तुत करती है। इसमें मूल भगवान् जैवकीय भगवान् है।

आग की देवी महादेवी

भारत की जातियां जनजातियों से रूपांतरित होकर अस्तित्व में आयी हैं ।

Written By
डॉ. निर्मोही, जमुर्रद बेग़म 'शाद', डॉ. राजीव श्रीवास्तव
यह नयी खोज है जो रोने धोने वाली कवियित्री से अलग महादेवी वर्मा को क्रांति की ज्वाला के रूप में प्रस्त्तुत करती है। Its a new discovery that presents Mahadevi Varma as a flame of revolution.

कालिया का लोहा

काला/ब्लैक का समाज वैज्ञानिक विश्लेषण

Written By
डॉ. निर्मोही, डॉ. सन्देश पटेल

आरक्षण की धुरी पर

जाति और आरक्षण की तार्किक विवेचना

Written By
डॉ. निर्मोही

ऋग्वैदिक असुर और आर्य

असुर ही ईश्वर का पर्याय, भारत के मूल निवासी, वेदों के रचनाकार हैं।

Written By
डॉ. निर्मोही

हिन्दू संस्कृति के बारह सच

मानव की अमरता और पुनर्जन्म का सिद्धांत 

Written By
डॉ. निर्मोही, डॉ. सपनेश पटेल
हिन्दू-संस्कृति-के-बारह-सच-Twelve-truths-of-Hindu-culture

भारत की जातियां उद्भव एवं विकास-2

भारत की जातियां और उनका विश्लेषण 

Written By
डॉ. निर्मोही